साहस के टीले पर
परिंदे जब आसमां को चूमते है,
वास्तिवकता में उसके राहों में
न जाने कितने
औजार उसे छिन्न भिन्न करने को
आड़े आते है,
न जाने कितने दफे
उनके जिस्म का हिस्सा
छोड़ता है उसका साथ,
पर वो पकड़ कर
हौसलों का हाँथ
मंजिल को पाकर ही लेते है, अपनी सांस !
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